पूज्य गुरुदेव श्री प्रशमरतिविजयजी म. ने बताया कि
लोकडाउन की समय मर्यादा बढ़ गयी है . लोगों को इतने लंबे समय तक घर में बने रहने की आदत नहीं है . भक्तों को भी इतने लंबे समय तक मंदिर से दूर रहने की आदत नहीं है . कुछ लोग लोक डाउन में भी बिना वजह अनुशासन से विपरीत जाते हुए दिख रहे हैं . यह जरूर है कि लोकडाउन के हमारा रूटीन डिस्टर्ब हुआ है . परन्तु लोक डाउन हमारी समस्या नहीं है . हमारी समस्या कोरोना है . लोकडाउन को समस्या मानकर न देखें . हमें लोकडाउन के सामने नहीं लड़ना है . हमें कोरोना के सामने लड़ना है . लोकडाउन एक अनुशासन है . वैसे तो सब अनुशासन में हैं लेकिन लंबे समय तक अनुशासित रहना भी पड़ेगा . अनुशासन को हम जितना तोड़ेंगे उतनी ही कोरोना की भीति बढ़ेगी . परिवार , घर , महोल्ला , शहर , राज्य , राष्ट्र एवं विश्व की सलामती के लिए लोकडाउन का कड़क पालन अनिवार्य है .
एक ख़ास बात यह भी है कि जैन साधू साध्वीजी , फिलहाल अपनी अपनी जगह पर रुके हुए हैं . लोकडाउन खुलते ही वो पदयात्रा विहार शुरू कर दे ऐसी संभावना दिख रही है . मेरा यह स्पष्ट मंतव्य है कि जब तक भारत देश कोरोना मुक्त न हो जाए तब तक जैन साधू साध्वीजी भगवंत विहार न करें . यही उचित होगा . साधू साध्वीजी भगवंत विहार के दौरान प्रतिदिन पंद्रह – बीस किलोमीटर पैदल चल के कही रुकते हैं . ये जो रुकने की जगह होती है वो फिलहाल तो सही सलामत नहीं है . हमें साधू साध्वीजी भगवंत के क्षेम कुशल का ध्यान सर्वप्रथम रखना चाहिए .
आजकल सभी घरों में परिवार जन एक साथ समय बिता रहे हैं . संकट का समय मानसिक तनाव भी लाता है . जो धैर्यवान् है वह निराशा , आलस्य , क्रोध आदि की छाया से खुद को बचाये रखता है . खुद का धैर्य अखंड बनाए रखें . आपका धैर्य अन्य को धैर्य देता है . आप का अधैर्य अन्य में अधैर्य जगाता है . आत्म संतोष एवं आत्म चिंतन से मन को बल मिलता है .
