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आप के वचन से धर्मात्माओं की
उत्साह वृद्धि होनी चाहिए .
आप के वचन से धर्मात्माओं का
उत्साह भंग नहीं होना चाहिए .
जिस के वचन से
धर्मात्माओं की उत्साह वृद्धि होती है
वह पुण्य उपार्जित करता है .
जिस के वचन से
धर्मात्माओं का उत्साह भंग होता है
वह पापबंध करता है .
जो नया नया धर्म कर रहा है ,
जो अच्छे से धर्म कर रहा है ,
जो धर्म की कोई जिम्मेदारी
संभाल रहा है
उस का उत्साह भंग आप
अपनी वाणी से कभी भी मत करना .
पू.मुनिराज श्री प्रशमरतिविजयजी म .
