Home Hindiधर्मचिंतन – ३

धर्मचिंतन – ३

by Devardhi
0 comments
 
आप ने आज तक 
जो धर्म किया है 
उससे अधिक धर्म 
और 
उससे बहेतर धर्म 
आप कर सकते हैं .
आप अपने धर्म को 
बढाते रहिए .
आप अपने धर्म को 
बहेतर बनाते जाइए .
आप जहां हैं 
वहां रूको मत .
आप आगे बढो .
------------------
पू.मुनिभगवंतश्री प्रशमरतिविजयजी म. 

You may also like

Leave a Comment

Featured

जैन विद्या केन्द्र

Recent Posts

@2025 All Rights Reserved.