Home Hindi१ . गौतम ध्यान परम सुख कारी

१ . गौतम ध्यान परम सुख कारी

by Devardhi
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पर्युषण में कल्पसूत्र का आनंद कोइ और है . कल्पसूत्र में स्थविरावली व्याख्यान का आनंद कोइ और है . स्थविरावली में श्री वज्रस्वामी की कथा का आनंद कोइ और है . वज्रस्वामीजी को देवताओं ने दिव्य लब्धि दी थी जिससे वो आसमान में उड़ सकते थें , शरीर का रूप बदल सकते थें . आज जब कोइ दीक्षार्थी दीक्षा लेता है तो रजोहरण मिलने पर नृत्य करता है . यह रजोहरण नृत्य की परंपरा वज्रस्वामीजी से शुरू हुई है .
आचार्य पद प्रदान , उपाध्याय पद प्रदान , पंन्यास पद प्रदान , गणि पद प्रदान , दीक्षा एवं वडी दीक्षा की क्रिया में दिग् बंधन की विधि होती है . इस में कोटि गण , वयरी शाखा , चांद्र कुल का स्मरण किया जाता है . इसमें जो वयरी शाखा है वह श्री वज्रस्वामीजी के नाम है . आज के समय में जितने भी साधु है वो वज्रस्वामीजी की वंश परंपरा में  है , ऐसा दिग् बंधन की विधि में श्रद्धा पूर्वक बोला जाता है . जैसा गौरव श्री सुधर्मा स्वामी जी महाराजा का है कुछ वैसा ही गौरव श्री वज्रस्वामीजी महाराजा का है .

मुझे जब पहेली बार पता चला कि वज्रस्वामीजी महाराजा का लिखा हुआ एक स्तोत्र मिलता है तो मैं रोमांचित हो गया था . फिर वह स्तोत्र हाथ में आया और स्तोत्र का नाम मैंने देखा . नाम था : श्री गौतम स्वामी स्तोत्र . श्री वज्र स्वामी जी स्वयं महाचमत्कारी व्यक्तिमत्ता है . वो जिनकी स्तवना करे उनका चमत्कार कितना बड़ा होगा ? श्री गौतम कथा यहां से शुरू होती है .

स्तोत्र का प्रथम श्लोक इस प्रकार है .
स्वर्णाष्टाग्रसहस्रपत्रकमले पद्मासनस्थं मुनिं
स्फूर्जल्लब्धिविभूषितं गणधरं श्रीगौतमस्वामिनम् ।
देवेन्द्राद्यमरावलीविरचितोपास्तिं समस्ताद्भुत –
श्रीवासातिशयप्रभापरिगतं ध्यायामि योगीश्वरम् ।।
श्री वज्र स्वामी जी महाराजा पूर्व भव में देव थें . तब आप श्री गौतम स्वामी जी महाराजा को मिले थें . आप ने अपनी नज़रों से श्री गौतम स्वामी जी को देखा था . स्तोत्र में वहीं लिखा है जो आप ने देखा .

हम अपनी नज़रों से श्री गौतम स्वामी जी महाराजा की ऊंचाई को नाप ही नहीं सकते हैं . पूर्व पुरुषों की नज़रों से देखा जाए तभी समझ में आता है कि श्री गौतम स्वामी जी महाराजा की ऊंचाई क्यां थी ?

स्तोत्र में श्री वज्रस्वामी जी महाराजा लिखते हैं कि
मैं श्री गौतम स्वामी जी महाराजा का ध्यान करता हूं. ध्यान करता हूं मतलब कि उनके विचारों में खो जाता हूं . ध्यान करता हूं मतलब कि उनके विचारों में डूब जाता हूं . ध्यान करता हूं मतलब कि जब उनके बारे में सोचता हूं तो बाकी की दुनिया को भूल जाता हूं .

श्री गौतम स्वामी जी महाराजा का ध्यान याने गौतम ध्यान . गौतम ध्यान का प्रभाव अलौकिक है . प्रभु वीर के समय में दो महात्मा थें . साल मुनि और महासाल मुनि . श्री गौतम स्वामी जी के सांनिध्य में आप विहार कर रहे थें . चलते चलते दोनों , श्री गौतम स्वामी जी के बारे में अहोभाव पूर्वक सोच रहे थें . वह गौतम ध्यान था . गौतम ध्यान के कारण दोनो महात्माओं को केवलज्ञान हो गया . गौतम ध्यान कल्याणकारी है . गौतम ध्यान चमत्कारी है . गौतम ध्यान शुभकारी है . गौतम ध्यान लाभकारी है . ( क्रमशः )

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