एक सुंदर श्लोक है .
सर्वारिष्टप्रणाशाय सर्वाभीष्टार्थदायिने
सर्वलब्धिनिधानाय गौतमस्वामिने नमः ।।
गौतम गुरु की भरपूर स्तवना करनी चाहिए .
गौतम गुरु की भरपूर पूजा करनी चाहिए .
गौतम गुरु की भरपूर भक्ति करनी चाहिए .
गौतम गुरु की कृपा पाने की अभीप्सा बनी रहेनी चाहिए .
श्लोक कहता है कि गौतम गुरु के तीन आशीर्वाद होते हैं .
प्रथम आशीर्वाद है : विघ्न का नाश .
द्वितीय आशीर्वाद है : वांछित का लाभ .
तृतीय आशीर्वाद है : पुण्य का निर्माण और पाप का क्षय .
प्रथम आशीर्वाद :
गौतम गुरु विघ्न का नाश करते हैं . आप प्रतिदिन धर्म की प्रवृत्ति कर रहे हो उसमें कभी विघ्न आ जाता है . विघ्न उसे कहते है जो आप को अपने अभीष्ट धर्म से दूर रखता है . विघ्न उसे कहते है जो आपको अपने नियत धर्म से वंचित कर देता है . विघ्न उसे कहते है जो आपकी अंतरंग शुभ धारा को विक्षिप्त कर देता है . ऐसा विघ्न जिसे आता है वह धर्म में एकाग्र बन नहीं पाता है , परिस्थिति विपरीत होने के कारण उसका उत्साह टूट जाता है . विघ्न शारीरिक हो सकता है . विघ्न आर्थिक हो सकता है . विघ्न भावनात्मक हो सकता है . विघ्न मानसिक हो सकता है . विघ्न पारिवारिक हो सकता है . विघ्न सामाजिक हो सकता है . गौतम गुरु का प्रभाव ऐसे विघ्न के समय जादू करता है . गौतम गुरु का नाम विघ्न को आने से रोकता है . गौतम गुरु का नाम , विघ्न को कमज़ोर बनाता है . गौतम गुरु का नाम विघ्न को भगा देता है . गौतम गुरु का नाम , आप में ऐसी शक्ति भर देता है कि जो विघ्न चला गया वह दोबारा आता ही नहीं है . बात हमारे शुभ आशय की है . हम गौतम गुरु के पास आकर दुनियादारी विघ्न को मिटाने की लालसा न रखें . गौतम गुरु अध्यात्म के चिकित्सक है . धर्म के विषय में जो भी विघ्न हो , संकट हो , अंतराय हो – गौतम गुरु के नाम से वो दूर हो जाते हैं . दान – शील – तप – भाव आदि धर्म प्रवृत्ति को रोकनेवाला विघ्न , गौतम गुरु के नाम से नष्ट हो जाता है .
द्वितीय आशीर्वाद :
हमने धर्म के लिए सपने देखे नहीं है . सपने ऐसे देखने चाहिए जो बड़े हो , कठिन हो . जो सपना देखा गया है वही साकार होता है . जो सपना देखा नहीं गया वह साकार नहीं हो पाता है . हम एक उपवास के लिए सोचते हैं और एक उपवास करके बैठ जाते हैं . हमें दस या तीस उपवास के लिये सोचना चाहिए . हम एक सामायिक के लिए सोचते हैं और एक सामायिक करके बैठ जाते हैं . हमें पांच या दस सामायिक के लिये सोचना चाहिए . हम पांच तीर्थ के लिए सोचते हैं और पांच तीर्थ की यात्रा करके बैठ जाते हैं . हमें पचास या एक सौ आठ तीर्थों के लिये सोचना चाहिए . जब हम बड़ा सोचेंगे तो गौतम गुरु का नाम सहायकारी होगा . गुरु गौतम किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक सपने को अधूरा नहीं रहने देते हैं . सपना सात्त्विक हो वह आप की जिम्मेदारी . सपना पूरा हो वह गौतम गुरु की जिम्मेदारी . गौतम गुरु के पास आकर सांसारिक सपनों को याद मत करना . गौतम गुरु से अध्यात्म का बल मांगो . जितना मांगोंगे उससे दुगुना मिलेगा .
तृतीय आशीर्वाद :
समझो कि विघ्न नहीं आते हैं . ऐसा समझ लो कि सपने भी नहीं हैं बड़े . फिर भी गौतम गुरू का स्मरण करते रहिये . गौतम गुरू का स्मरण पुण्य का निर्माण एवं पाप का नाश करता है . जिसने जिसने गौतम गुरू का ध्यान किया है उसने उसने जीवन में गौतम गुरू का प्रभाव महसूस किया है . गौतम गुरू का ध्यान धरने से कामनाओं की पूर्ति होती है यह वाक्य स्वार्थ मूलक है . गौतम गुरू का ध्यान धरने से कामनाएं शांत हो जाती हैं यह वास्तविकता है . गौतम गुरु का लब्धि प्रभाव अनंत हैं . गौतम गुरु की भक्ति करने से , प्रभु के प्रति श्रद्धा बढती है . गौतम गुरु की भक्ति करने से , गुरूओं के प्रति आस्था बढ़ती है . गौतम गुरु की भक्ति करने से , धर्म प्रवृत्तियों का उल्लास बढ़ जाता है . गौतम गुरु की भक्ति करने से , शांति और समाधि का निर्माण होता है .
