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धर्म करने के दो तरीके हैं .
एक ,
पुरी ताकत लगाके धर्म करो .
दो ,
थोडीसी ताकत लगाके धर्म करो .
जो पुरी ताकत लगाता है
उसे सफलता मिलती है .
जो थोडीसी ताकत लगाता है
उसे सफलता नहीं मिलती है .
पू.मुनिराज श्री प्रशमरतिविजयजी म .
