१ . विनय-श्रुत अध्ययन
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१ . स्वजन संबंधीओं की धार्मिक इच्छा का सन्मान करें .
२ . बुज़ुर्ग जनों की भावनाओं को आहत न करें .
३ . अन्य के दुष्ट वचन सुनकर मन को अशांत न होने दें . ——————– २ . परिषह प्रविभक्ति अध्ययन ——————– १ . दुःख आने पर सोचे कि मेरे पाप का नाश हो रहा है . २ . सुख से आकर्षित होकर किसी धर्म प्रवृत्ति को छोड़ न दे . ३ . जिस के कारण दुःख मिला उसपर द्वेष न बनाए . ——————– ३ . चतुरंगीय अध्ययन ——————– १ . प्रतिदिन कुछ नया धर्मबोध उपार्जित करें . २ . धर्म श्रद्धा का स्तर ऊपर ऊपर बढ़ाते रहें . ३ . जो धर्म बाकी है उसे करने का लक्ष बनाए रखें . ——————– ४ . असंस्कृत अध्ययन ——————– १ . धर्म क्रिया के प्रति आलस्य भाव न रखें . २ . क्रोध – मान – माया – लोभ को कम करने के लिए मानसिक पुरुषार्थ करें . ३ . धार्मिक प्रवृत्ति को दोष रहित बनाए रखें . ——————– ५ . अकाम मरणीय अध्ययन ——————– १ . कुछ समय सुख सामग्री के बिना खुश रहने की आदत बनाए . २ . किसी एक या दो दुःख को हसते हसते सहने की कोशिश करें . ३ . रात को सोने से पूर्व – वोसिरामि – का प्रयोग करें .