Home Hindiश्री उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ अध्ययनों का सारांश : भाग ३

श्री उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ अध्ययनों का सारांश : भाग ३

by Devardhi
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उत्तराध्ययन

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१२ . हरिकेशीय अध्ययन
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१ . व्रत और नियम का पालन करें .
२ . स्वयं के सद् गुणों का विकास करते रहे .
३ . व्रतपालक साधु साध्वी को अतिशय आदर दे .
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१३ . चित्र संभूतीय अध्ययन
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१ . व्रत की विराधना से बड़ा पाप लगता है .
२ . अव्रत के परिहार से बड़ी कर्म निर्जरा होती है .
३ .  आत्मिक संतोष की अनुभूति के लिए काम भोग से दूर रहे .
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१४. इषुकारीय अध्ययन
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१ . पूर्व जन्म एवं पुनर्जन्म में पूर्ण विश्वास रखना चाहिए .
२ . धर्मक्रियाओं के द्वारा शुभ भावना का निर्माण करना चाहिए
३ . परिवार के लिये धर्म की उपेक्षा नहीं होनी चाहिए .
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१५ . सभिक्षु अध्ययन
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१ . वैराग्य गर्भित ज्ञान से आत्मा को लाभ होता है .
२ . क्रिया युक्त श्रद्धा से आत्मा का उद्धार  होता है .
३ . व्रत एवं नियम की दृढ़ता रखने से आत्मा की शुद्धि होती है .
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१६ . ब्रह्मचर्य समाधि स्थान अध्ययन
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१ . विजातीय तत्त्व का आकर्षण , तीव्र पाप का निर्माण करता है .
२ . अब्रह्म का सेवन , वासना और विराधना को बढ़ाता है .
३ . ब्रह्मचर्य के पालन से -पाप , वासना एवं विराधना पर बड़ा अंकुश आ जाता है .
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