Home Hindiश्री उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ अध्ययनों का सारांश : भाग ५

श्री उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ अध्ययनों का सारांश : भाग ५

by Devardhi
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उत्तराध्ययन

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२३ . केशी गौतमीय अध्ययन
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१ . धर्म विषयक मत भेदों को द्वेष का हेतु नहीं बनाना चाहिए .
२ . धर्मात्माओं को सन्मान देने से अपने धर्म की शक्ति बढ़ती  है .
३ . साधु साध्वी की प्रशंसा सब से श्रेष्ठ धर्माचार है . प्रतिदिन अधिकाधिक साधु साध्वी की प्रशंसा करनी चाहिए .
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२४ . प्रवचन माता अध्ययन 
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१ . जीव विराधना का भय , आत्मा को पवित्र बनता है . जयणा का संस्कार दृढ़ बनाते रहें .
२ . वाणी को सौम्य रखनी चाहिए . वाणी को सौम्य रखने से जीवन में शांति और शुद्धि की शक्ति बढ़ती है .
३ . मन को जिन आज्ञा के चिंतन में जोड़ना चाहिए .
जीवन को जिन आज्ञा के पालन में जोड़ना चाहिए .
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२५ . यज्ञीय अध्ययन 
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१ . पांच अव्रत आत्मा के सब से बडे शत्रु हैं : हिंसा . मृषावाद . चोरी . मैथुन . परिग्रह . याद रखें .
२ . अन्य के प्रति द्वेष रखना यह उत्कृष्ट दुःख है .
३ . संयम और तपस्या से पूर्वभवों में उपार्जित तीव्र कर्मों का नाश होता है .
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२६ . सामाचारी  अध्ययन 
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१ . प्रत्येक धर्म क्रिया एवं हर एक स्वाध्याय को निश्चित गुरु के मार्गदर्शन अनुसार ही करें .
२ . संघ की प्रत्येक व्यवस्था का सन्मान करें , कही पर भी अव्यवस्था का निर्माण न करें .
३ . चतुर्विध संघ में से एकाद भी व्यक्ति के लिए दुर्भावना न रखें . ऐसी दुर्भावना दुर्गति देती है .
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२७ . खलुंकीय अध्ययन
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१. अन्य के प्रति ईर्ष्या रखने से खुद की खुशी का नाश होता है .
२. ज्ञान दाता के समक्ष अत्यधिक दलीलबाजी और सवालबाजी न करें .
३ . खाने पीने का शौख धार्मिकता को शिथिल बना देता है .
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२८ . मोक्ष मार्ग गति अध्ययन
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१ . आत्मा क्यां होती है , आत्मा की शुद्धि कैसे होती है इस विषय में अधिक से अधिक ज्ञान उपार्जन करें .
२ . मुझे मोक्ष कब मिलेगा , मुझे मोक्ष कैसे मिलेगा
इस विषय में अधिक से अधिक उत्कंठा बनाए .
३ . चारित्र पालन एवं तप आचरण में सविशेष पुरुषार्थ करें .
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२९ . सम्यक्त्व पराक्रम अध्ययन 
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१. देव गुरु धर्म के प्रेमी साधर्मिक की भक्ति करते रहें .
२. पाप की भव आलोचना एवं वार्षिक आदि आलोचना लेते रहें एवं प्रायश्चित्त का विधिवत् का स्वीकार करते रहें .
३. प्रतिदिन सुबह शाम प्रतिक्रमण करें अथवा सुबह शाम , पाप प्रवृत्ति का प्रामाणिक मिच्छामि दुक्कडं कहते रहें .
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