किसी को नए कपड़े देना जैसे जरूरी है वैसे ही जरूरी होता है कि किसी को पुराने कपड़े धुलने के लिए पानी और साबुन दिया जाए . क्या है कि नए कपड़े एकदिन पुराने हो ही जाते है जब कि पुराने कपड़े धुलने पर वापिस नए बन जाते हैं . हम किसी को सुख दे यह बाद में देखा जाता है पहले यह देखा जाता है हम किसी का दुःख मिटा दे . एक जीवन में आपने कितने लोगो को सुख दिया यह कम महत्त्वपूर्ण है . आपने कितने लोगो के दुःख मिटाये यह अधिक महत्त्वपूर्ण है .
आप की वजह से किसी की पीड़ा या चिंता मिटे ऐसा होते रहना चाहिए . किसी को अपमान से बचाना , किसी को डर से बचाना , किसी को आफत से बचाना , किसी को अज्ञान से बचाना . ये हमारा काम है . जो आप के कारण अपने तनाव से मुक्त होता है वह आप को और आप के धर्म को धन्यवाद देता है . जो आप के कारण तनाव में फँसता है वह आप को और आप के धर्म को गाली देने लगता है . हमारी वजह से कोई चिंता मुक्त बने यह सुंदर घटना है .
आपके संस्कार का साफल्य इसी में है कि आप परपीड़ा – परिहार की प्रवृत्ति अधिक से अधिक करे .
आप के कारण किसी को पाप करना पड़े तो वह गलत काम है . आप के कारण किसी को पाप से मुक्ति मिल जाए यह सही काम है .
कोइ जब दुःख से या पाप से मुक्त बनता है तो उसे अंदर से खुशी मिलती है . आप ऐसी खुशी का निमित्त बनते ही रहें .
चातुर्मास प्रवचन २०
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