Home Hindiचातुर्मास प्रवचन – 10

चातुर्मास प्रवचन – 10

by Devardhi
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जीवन का अंतिम दिन सुंदर हो ऐसा सपना सज लो . आप रोज रोज इसे बड़े सपने की तरह मन में लाओ .
मौत के समय खाना – पीना और दवाई का विचार मन में न रहे तभी जीवनभर की धार्मिकता सफल होती है . उत्तम मृत्यु के लिए उत्तम जीवनशैली आवश्यक है . पांच काम करते रहे . एक* , आत्मा के विषय में नयानया सुनते रहे , सीखते रहे , समझते रहे . जो भी सीखा हुआ है उसे मन में उपस्थित रखें . इसे ज्ञान आचार कहते है . *दो , भगवान की भक्ति में पागल की तरह खोना सिख ले . मरण के बाद प्रभु का विरह न हो ऐसे जिए . इसे दर्शन आचार कहते है . तीन , आकांक्षा जितनी कम हो सके उतनी कम करे एवं धार्मिक व्रत नियमों को खुशी से पालते रहे . इसे चारित्र आचार कहते है . चार , आहार के विषय में संयम और त्याग के भाव बनाए रखे . इसे तप आचार कहते है . पांच , आपकी धार्मिक अभिरूचि का कार्यक्षेत्र समझ ले और उसी दिशा में पुरी ऊर्जा लगाते रहे . इसे वीर्य आचार कहते है . ये पांच आचार चालु रहने चाहिये . साधु पंचाचार की उत्कट साधना में रहते है . प्रख्यात जैनाचार्य श्री रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराज ने पंचाचार के प्रभाव से श्रेष्ठ समाधि सिद्ध करी थी . हमे भी समाधिलाभ के लिये पंचाचार में महारत हांसिल करनी होगी .

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