श्री गौतम चालीसा by देवर्धि साहेब Click n read
Devardhi
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https://youtu.be/uYm4XZ5zrwE પગલે પગલે પંથ ખૂલે , પ્રવ્રજ્યા પ્રભુતા આપે છે . શુદ્ધ અવસ્થાના સંસ્કારો પ્રવ્રજ્યા હૃદય પર છાપે છે . …
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तेरी खुशबू तेरा अहसास , तेरा ही नाम रहा मेरे पिता तेरे चरणों में , मेरा प्रणाम रहा …
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ज्ञान दर्शन चारित्र तप: वीर्याणि साधनाम् । कुर्वन्ति सार्थिकाम् एते पञ्चाचाराः प्रकीर्तिता: ।। १ ।। एतेषां नियमा अष्टौ अष्टौ अष्टौ …
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धर्म क्रिया एवं धार्मिक कार्यों के लिए उत्साही रहना चाहिए . धार्मिक नीति नियमों की तनिक भी उपेक्षा नहीं करनी …
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हमे उतना ही धर्म करना चाहिए जितनी हमारे पास शक्ति है , यथा शक्ति . हमारी शक्ति की सीमा होती …
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ज्ञान आचार , दर्शन आचार , चारित्र आचार एवं तप आचार की प्रवृतिओं में उत्साही गतिशील रहना उसे वीर्य आचार …
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चेष्टाओं को छोड़ देना यह उत्सर्ग है . मन की चेष्टा होती है . उसे छोड़ देना यह उत्सर्ग है …
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मन को शुभ विषय में एकाग्रता पूर्वक जोड़ना चाहिए . वोही ध्यान है . तीन बातें हैं . १ . …
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धर्मग्रंथ का अभ्यास करते हुए मन को शुभ भावना से भावित रखना , इसे स्वाध्याय कहते है . तीन बातें …
