धर्म क्रिया एवं धार्मिक कार्यों के लिए उत्साही रहना चाहिए . धार्मिक नीति नियमों की तनिक भी उपेक्षा नहीं करनी …
Hindi
-
-
हमे उतना ही धर्म करना चाहिए जितनी हमारे पास शक्ति है , यथा शक्ति . हमारी शक्ति की सीमा होती …
-
ज्ञान आचार , दर्शन आचार , चारित्र आचार एवं तप आचार की प्रवृतिओं में उत्साही गतिशील रहना उसे वीर्य आचार …
-
चेष्टाओं को छोड़ देना यह उत्सर्ग है . मन की चेष्टा होती है . उसे छोड़ देना यह उत्सर्ग है …
-
मन को शुभ विषय में एकाग्रता पूर्वक जोड़ना चाहिए . वोही ध्यान है . तीन बातें हैं . १ . …
-
धर्मग्रंथ का अभ्यास करते हुए मन को शुभ भावना से भावित रखना , इसे स्वाध्याय कहते है . तीन बातें …
-
उत्तम पुरुषों की सेवा भक्ति करना उसे वेयावच्च कहते है . तीन बातें हैं . १ . साधु साध्वीजी भगवंतों …
-
विनय का अर्थ है आदर की अभिव्यक्ति . विनय का अर्थ है आदर पूर्ण अभिव्यक्ति . उत्तम पुरुष एवं उपकारी …
-
तप आचार के बारह प्रकार में से प्रथम छह प्रकार को बाह्य तप कहते है . तप आचार के बारह …
-
संलीनता अर्थात् विशेष स्थिरता . तीन बातें याद रखनी चाहिए . १ . मन को किसी एक शुभ विषय में …
