Home Hindiदुष्ट दुष्ट रहता है और सज्जन सज्जन रहता है

दुष्ट दुष्ट रहता है और सज्जन सज्जन रहता है

by Devardhi
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दुष्ट लोग स्वभावत: दुष्ट होते हैं . सज्जन लोग स्वभावत: सज्जन होते हैं . धवल और श्रीपाल का साथ में रहना हुआ प्रवास के कारण . दोनों एक दूसरे से इतने अलग हैं कि एक साथ एक ही मकान में रहे या एक ही व्यवसाय करें यह संभवित नहीं है . लेकिन श्रीपाल को दूर देशांतर का प्रवास करना था और धवल दूर देशांतर जा ही रहे थें अतः दोनों एक घटनाक्रम में जुड़ गएं .धवल में धनलालसा कूट-कूट कर भरी है . श्रीपाल धन उपार्जन के लिए आवश्यकता अनुसार जागरूक हैं . धवल कर-चोरी जैसी अनीति करने में संकोच नहीं करते हैं . श्रीपाल अनीति नहीं करने के विषय में सावधान है . धवल व्यवसाय के लिए धर्म की उपेक्षा करते हैं . श्रीपाल धर्म के लिए अर्थोपार्जन की उपेक्षा करते हैं . धवल को परस्त्री में आसक्ति हो जाती है . श्रीपाल स्त्री सन्मान को कभी नहीं चुकते हैं . धवल बार-बार झगड़ा मोल लेते हैं . श्रीपाल अक्सर समाधान वादी वृत्ति बनाए रखते हैं .

धवल ने बब्बरकुल के समंदरी तट पर राजकीय कर भरने से इन्कार कर दिया था . धवल ने महाकाल राजा के साथ युद्ध किया और हार पाई . बाद में श्रीपाल ने महाकाल को हराया , धवल को मुक्त कराया . बदले में धवल के ५०० जहाजों में से २५० जहाजों की मालिकियत हासिल की . यहां महाकाल राजा की पुत्री के साथ श्रीपाल का विवाह हुआ . धवल ने रत्नसानु के समंदरी तट पर राजकीय कर भरने से इन्कार कर दिया था . उसे बड़ी सजा हुई थी . श्रीपाल जिन मंदिर गएं थें . वहां चक्रेश्वरी देवी के कारण चमत्कार हुआ . मंदिर के बंध दरवाज़े खूले थें . रत्नसंचया नगरी के राजा की पुत्री के साथ श्रीपाल का विवाह हुआ . श्रीपाल ने ही धवल को सजा से मुक्त करवाया . समुद्री प्रवास में धवल ने छल-कपट से श्रीपाल को समंदर में धकेल दिया . लेकिन श्रीपाल बच निकले और कोंकण के राजा के जमाई बनें . यहां धवल पहुंचा . श्रीपाल अधम जाति के हैं , डुंब जाति के हैं ऐसा आक्षेप रचा गया . पुण्य योग से वह आक्षेप झूठा साबित हुआ और धवल को कड़ी सजा हुई . हालांकि श्रीपाल ने ही धवल को सजा से बचाया . राज महालय में धवल को निवास मिला . रात्रि के समय धवल ने श्रीपाल की हत्या करने की कोशिश की . लेकिन सीडी से पैर फिसलने के कारण धवल की अकाल मृत्यु हो गई . श्रीपाल जिस का मित्र था वह धवल मरके सातवी नरक में गया .

सज्जन की पांच विशेषताएं होती हैं . सज्जन , धन-लालसा से मुक्त होते हैं . सज्जन , मन में वैरभाव रखते नहीं हैं . सज्जन , उपकारी को आदर देने में कोई कमी नहीं छोड़ते हैं . सज्जन , विपरीत परिस्थिति में निराश नहीं होते हैं . सज्जन , धर्म के एक एक अवसर को अच्छी तरह से भूना लेते हैं . दुर्जन इससे विपरीत होते हैं . .

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