६ . क्षुल्लक निर्ग्रन्थीय अध्ययन
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१ . परिवार जनों पर का ममता भाव एवं अधिकार भाव कम करें .
२ . वस्त्र , बर्तन , साज , असबाब की ममता कम करें .
३ . स्व शरीर के प्रति आसक्ति कम करने का लक्ष बनाए .
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७ . उरभ्रीय अध्ययन
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१ . अनावश्यक पापों को छोड़ने का प्रयत्न करें .
२ . भौतिक आनंद प्रमोद की प्रवृत्तियों को कम करें .
३ . धर्म प्रवृतिओं में आनंद की अनुभूति बनाए .
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८ . कापिलीय अध्ययन
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१ . हंमेशा सोचिये कि मुझे मरने के बाद दुर्गति में नहीं जाना है .
२ . धन संचय की इच्छाओं का कोइ अंत नहीं है , याद रखें .
३ . कुछ खुशिया ऐसी भी है जिसमें धन का योगदान नहीं है .
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९ . नमि प्रव्रज्या अध्ययन
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१ . मुझे संघर्ष और संक्लेश से दूर रहना चाहिए .
२ . आकांक्षाओं को कम करने से संक्लेश कम हो जाते है .
३ . निसंग भाव और एकांत निवास से आत्म शुद्धि बढती है .
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१० . द्रुम पत्रक अध्ययन
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१ . अप्रशस्त राग एवं उसके आलंबन से बचना चाहिए .
२. प्रशस्त राग एवं उसके आलंबन के साथ जुड़े रहना चाहिए .
३ . राग रहित मनोदशा के लिए विशेष मन: शुद्धि करनी चाहिए .
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११ . बहुश्रुत पूजा अध्ययन
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१ . धर्म का ज्ञान बढ़ाते रहे लेकिन धर्म-ज्ञान का अहंकार न करें .
२ . ऐसा बोध हांसिल कीजिये कि मोक्ष के विषय में अधिक चिंतन कर सके .
३ . ज्ञानी की निंदा न करें . ज्ञानी की निंदा न सुनें .
ज्ञानी की सेवा का लाभ लें .
श्री उत्तराध्ययन सूत्र के ३६ अध्ययनों का सारांश : भाग – २
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